

नई दिल्ली
हितेश ने इस टूर्नामेंट में स्वर्ण अपने नाम किया और वह विश्व मुक्केबाजी कप में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बन गए। दरअसल, उनके प्रतिद्वंद्वी इंग्लैंड के ओडेल कामारा चोटिल हो गए थे और शनिवार को 70 किग्रा वर्ग के फाइनल के लिए रिंग में नहीं उतर सके। भारत का ब्राजील के फोड डू इगुआकू में आयोजित विश्व कप अभियान छह पदकों के साथ समाप्त हुआ। भारतीय मुक्केबाजों ने इस टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया जिसमें हितेश द्वारा जीता गया स्वर्ण पदक भी शामिल है। भारत विश्व मुक्केबाजी द्वारा आयोजित किसी शीर्ष स्तरीय अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पहली बार हिस्सा ले रहा था।
विश्व मुक्केबाजी में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय बने हितेश
हितेश ने इस टूर्नामेंट में स्वर्ण अपने नाम किया और वह विश्व मुक्केबाजी कप में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बन गए। दरअसल, उनके प्रतिद्वंद्वी इंग्लैंड के ओडेल कामारा चोटिल हो गए थे और शनिवार को 70 किग्रा वर्ग के फाइनल के लिए रिंग में नहीं उतर सके। भारतीय मुक्केबाज अभिनाश जामवाल ने भी 65 किग्रा वर्ग के फाइनल में जगह बनाई, लेकिन स्थानीय दावेदार यूरी रेइस को कड़ी टक्कर देने के बावजूद उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
हितेश ने अच्छे प्रदर्शन का श्रेय टूर्नामेंट से पहले ब्राजील में आयोजित 10 दिवसीय तैयारी शिविर को दिया जिससे उन्हें और टीम को बहुत मदद मिली। हितेश ने कहा, शिविर ने मुझे कुछ रणनीतिक बारीकियां सीखने में मदद की जिससे मुझे प्रतियोगिता में बहुत मदद मिली। इस टूर्नामेंट ने हमें उच्चतम स्तर का अनुभव प्रदान किया और मुझे खुशी है कि मैं स्वर्ण पदक जीत सका।
चार मुक्केबाजों ने जीते कांस्य पदक
भारत के जादुमणि सिंह मंदेंगबाम (50 किग्रा), मनीष राठौड़ (55 किग्रा), सचिन (60 किग्रा) और विशाल (90 किग्रा) ने कांस्य पदक जीते। भारत ने विश्व मुक्केबाजी कप में 10 सदस्यीय दल उतारा था जो पेरिस ओलंपिक के बाद टीम का पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट था। इस मजबूत प्रदर्शन से खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ेगा क्योंकि वे 2028 लॉस एंजिलिस खेलों से पहले ओलंपिक चक्र की तैयारी भी शुरू करेंगे।